माँ के रूप -लेखनी प्रतियोगिता -11-Apr-2022
हिंदी के अ आ इ ई हम सबको आते हैं
चलो आज इनका नवीन रूप सजाते हैं।
अ से है अम्बा की सदा आ से आज्ञा मानो
हैं इंद्राणी, ईश्वरी इनकी महिमा तुम जानो।
कहलाती है उमा और ऊर्ध्वकेशनी माता
करे जो सम्मान जीवन नैया पार लगाता।
ऋषिकन्या, एककन्या, ऐंद्री नाम तेरे अनेक
ओंकारेश्वरी, औषधीश्वरी माँ तेरा लक्ष्य एक।
अंकुशधारिणी बन कुकृत्यों पर लगाती अंकुश
कात्यायनी बन आसुरी वृत्ति का मिटाती अंश।
खडगधारिणी, गौरी, घोररूपा रूप अतुलित
महिमा तेरी है अपरम्पार होती न कभी इति।
तू चामुंडा, छत्रेश्वरी, जयंती व झंकारेश्वरी
मन का मैल मिटा जगाती है भाव ईश्वरी।
टंकारेश्वरी, ठंकारेश्वरी और डमरूधारिणी
माँ ढालेश्वरी तू बनी सदा भक्तों की तारिणी।
माँ तपस्विनी, थलधारिणी, दुर्गा व धात्री
नारायणी, परमेश्वरी मातृत्व लुटा बनती मातृ।
फरसाधारिणी, ब्राह्मी, भवानी व माहेश्वरी
योगिनी, रक्तदंतिका, लक्ष्मी सदा भक्तों को तारी।
माँ वैष्णवी, शाम्भवी, षोडशी और सरस्वती
भक्तों को दिखा राह,शुद्ध करती उनकी मति।
हेमा, क्षमा, त्रिनेत्रा अरु मेरी ज्ञानेश्वरी माता
पाप से मुक्त हो जाए, मानव सर्वसुख पाता।
माते तेरे असंख्य रूप का होगा ना कोई ज्ञाता
तेरा हर एक रुप नयनों को है बड़ा लुभाता।
डॉ. अर्पिता अग्रवाल
Nand Gopal Goyal
12-Jun-2022 12:28 PM
Nice
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Reyaan
12-Apr-2022 04:48 PM
Very good
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Shnaya
12-Apr-2022 04:09 PM
Very nice 👌
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